झालावाड़ के पिपलोदी गांव में स्कूल की छत गिरने से दर्दनाक हादसा – 8 मासूमों की मौत, 27 घायल

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

झालावाड़ (राजस्थान):
राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में मंगलवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई जब सरकारी स्कूल की छत अचानक भरभरा कर गिर गई। इस हादसे में 8 मासूम बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 27 से अधिक बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे के बाद घटनास्थल पर चीख-पुकार मच गई। ग्रामीणों ने मलबे में दबे बच्चों को बाहर निकाला और अभिभावक अपने लहूलुहान बच्चों को गोद में उठाकर अस्पताल की ओर भागे।

भ्रष्ट सिस्टम और जर्जर ढांचा बना मौत का कारण

जिस स्कूल को “शिक्षा का मंदिर” कहा जाता है, वही आज मौत का कुआं साबित हुआ। ग्रामीणों का आरोप है कि कई वर्षों से स्कूल भवन की हालत बेहद खराब थी। छत से बरसात में पानी टपकता था, दीवारों में दरारें पड़ी हुई थीं और शौचालय से लेकर बैठने तक की सुविधाएं बदहाल थीं। लेकिन जिम्मेदारों ने आंखें मूंद रखी थीं।

गरीबों के बच्चों के लिए नहीं है कोई सुनवाई

गांव के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। उनका कहना है कि अगर इस स्कूल में रसूखदारों और नेताओं के बच्चे पढ़ते होते, तो शायद ये हादसा नहीं होता।
“हमारे बच्चे गरीब हैं, किसान के बेटे हैं, मजदूर की बेटियां हैं। इन्हीं स्कूलों में पढ़कर कुछ बनने का सपना देखते हैं। लेकिन सरकार और प्रशासन की लापरवाही ने उनके सपनों के साथ-साथ उनकी जिंदगी भी छीन ली,” – एक आक्रोशित ग्रामीण ने कहा।

हर साल बजट, फिर भी नहीं सुधरता हाल

राज्य और केंद्र सरकार हर साल शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये का बजट पास करती हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों की हालत आज भी वैसी ही है – जर्जर भवन, गंदगी, पानी टपकती छतें, और टूटी चारदीवारियां। बच्चों को असुरक्षित माहौल में पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल

इस हादसे के बाद शिक्षा विभाग, पंचायत समिति और पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या इस जर्जर भवन का कोई समय पर निरीक्षण नहीं हुआ? क्या ग्रामीणों की शिकायतों को कभी गंभीरता से लिया गया?

CM ने किया मुआवजे का ऐलान, मगर क्या यही काफी है?

मुख्यमंत्री द्वारा मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख और घायलों को ₹2 लाख की सहायता राशि की घोषणा की गई है। लेकिन सवाल यह है – क्या ये पैसे मासूमों की जान की भरपाई कर सकते हैं? क्या इससे उस मां का दिल भर सकेगा जिसने अपने बच्चे को पढ़ने भेजा था, और वापस उसकी लाश मिली?

ज़रूरत है जवाबदेही की, मुआवजे की नहीं

समाज और सरकार को मिलकर अब यह तय करना होगा कि ग्रामीण भारत के बच्चों को कब तक जर्जर भवनों में जान जोखिम में डालकर पढ़ना पड़ेगा। यह हादसा केवल एक गांव की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की असफलता है।

MOKAJI TV
Author: MOKAJI TV

I am Moti Singh Rathore Founder/CEO DIRECTOR/ Editor in chief of Mokaji Media Entertainment Pvt Ltd Company. Our Media Company run Media business with online News Portal "MOKAJI TV".

Leave a Comment

और पढ़ें

Advertisements