अहमदाबाद विमान हादसा 241 हुए खत्म।

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MOKAJI TV – मोती सिंह राठौड़ एडिटर इन चीफ

12 जून 2025 को दोपहर 01:38 को बिल्कुल साफ मौसम,43° तापमान और बिना किसी खराब मौसम के एयर इंडिया की फ्लाइट बोइंग AI71(बोइंग 787-8,VT-ANB) का जो हादसा हुआ और जिसमें क्रू मेंबर के साथ सभी 241 यात्री जलकर खत्म हो गए।

जिसमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री  विजय रुपाणी के अलावा भारत के साथ ब्रिटेन और पुर्तगाल के यात्री शामिल थे।
यह हादसा मौसम और ज्यादा ऊंचाई और ATC नियंत्रण का विषय न लगकर कॉन्फ्रिगेशन एरर ज्यादा लगता हैं।
क्या होता हैं कॉन्फ्रिगेशन एरर ?
कॉन्फ्रिगेशन एरर का मतलब होता है कि जब भी कोई फ्लाइट उड़ान भरती हैं। उससे पहले कई सिस्टम चेक और एटीसी क्लियरेंस होते हैं। जिसमें सभी प्रकार की तकनीकी की क्रॉस चेक की होती हैं।
बिल्कुल साफ मौसम दोपहर का वक्त। हादसा भी उड़ान के 2 मिनट बाद ही हो गया। जिसमें फ्लाइट की उड़ान ऊंचाई भी लगभग 825 फीट तक ही थी।
बोइंग 787 एक विश्वासपात्र और लंबी दूरी की आरामदायक जहाज में से एक था। जोकि लंबी दूरी4200 किलोमीटर  की उड़ान के लिए ईंधन भी फूल था।
अहमदाबाद के मेघानी नगर के रहवासी एरिया मात्र 825 फीट की ऊंचाई पर 174 नॉट यानी 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर ही था।
जबकि बोइंग 787 को उड़ान भरते समय कम से कम 200 से 250 नॉट तक की स्पीड चाहिए। क्रैश वीडियो में लैंडिंग गेयर (पहिए) साफ नजर आ रहे थे। जोकि टेक ऑफ में  नहीं होना चाहिए था।
टेक ऑफ किसी भी उड़ान के लिए सबसे अहम और मुश्किल समय का हिस्सा होता हैं।
सही फेल्प्स, थ्रस्ट और रोटेशन स्पीड (VR) आवश्यक होती हैं। गर्मी के मौसम में गलती की गुंजाइश और भी कम हो जाती हैं।

संभावित गलती यदि उड़ान भरते समय फेल्प्स बहुत कम लगाए गए हो (Flaps 0) तो फ्लाइट के लिए लिफ्ट बनाना मुश्किल हो सकता हैं। वहीं अगर ज्यादा फेल्प्स (flaps 20) से ड्रेग इतना बढ़ जाता हैं। फ्लाइट का ऊपर उठना मुश्किल हो जाता हैं। फ्लाइट ऊपर नहीं उठ पाती हैं।

गर्मी का मौसम और वो भी अहमदाबाद जैसे क्षेत्र की उड़ानों के लिए पायलट को सेटिंग पर सटीक ध्यान देना अतिआवश्यक होता हैं।
अगर उड़ान के समय फेल्प्स गलत चुने गए होंगे जिससे उड़ान के समय फ्लाइट को ऊंचाई नहीं मिल पाई होगी।
हो सकता है कि पायलेट उड़ान के समय अलर्ट और एटीसी के संदेश में उलझ गए होंगे। या आपस में क्रॉसचेक नहीं कर पाए होंगे।
वैसे तो बोइंग 787 की चेक लिस्ट होती है। लेकिन जल्दबाजी और दबाव में इसे नजरंदाज किया गया हो।
थ्रस्ट की कमी
गर्मी के समय में उड़ान भरते समय सही थ्रस्ट का चयन करना आवश्यक होता हैं। गर्मी के कारण इंजन की ताकत कम हो जाती हैं। अगर पायलट ने गलती  कम थ्रस्ट चुनी हो। वजन का हिसाब गलत डाला हो। तो ऐसे में विमान तेजी से ऊपर नहीं जा पाया होगा।
लम्बी दूरी के कारण ईंधन टैंक फुल होने के कारण भी उड़ान भरते समय अतिरिक्त ताकत लगती हैं।
अहमदाबाद बोइंग 787 हादसे की वजह शायद यही रही हो।
बोइंग 787 जिसका वजन लगभग 227 टन वजन वाला जहाज है।  फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम(FMS) में शायद कुछ गड़बड़ हुई होगी। या पायलेट ने थ्रस्ट(इंजन की ताकत) सेट करने में गलती कर दी होगी।
या फिर फ्लाइट में 3,600  मीटर की बजाय   बीच से ही टेकऑफ लिया हो। इंटरेक्शन टेकऑफ़ लेने से स्थिति बिगड़ सकती थी। क्योंकि फिर गलती की गुंजाइश और कम हो जाती।
ह्यूमन फैक्टर्सः
पायलट आमतौर पर FMS में दर्ज किए गए आंकड़ों पर ही भरोसा करते हैं ताकि इंजन की ताकत तय कर सकें. लेकिन अगर वजन, तापमान या रनवे की लंबाई जैसी जानकारी गलत दर्ज हो जाए, तो इंजन से कम ताकत मिलती है. थकान या जल्दी उड़ान भरने का दबाव (जैसे उड़ान का समय निकला जा रहा हो) भी इसकी वजह बन सकता है- भले ही पायलट सबरवाल और कुंदर जैसे अनुभवी क्यों न हों.
समय से पहले रोटेशन
रोटेशन का मतलब होता है उड़ान भरते वक्त विमान के आगे वाले हिस्से (नोज) को ऊपर उठाना ताकि विमान जमीन से ऊपर उठ सके. यह काम तय की गई रफ्तार (Vr) पर किया जाता है, जो 787 जैसे विमान के लिए आमतौर पर 140-160 नॉट्स होती है (वजन पर निर्भर करता है). अगर विमान इस रफ्तार से पहले ही ऊपर उठने की कोशिश करता है, तो विमान को ठीक से लिफ्ट (ऊपर उठने की ताकत) नहीं मिलती. इससे विमान का पिछला हिस्सा रनवे से टकरा सकता है या विमान हवा में अस्थिर होकर गिर भी सकता है, खासकर अगर टेकऑफ के बाद भी स्पीड कम रहे.
अहमदाबाद में क्या हुआ: विमान की जो
गति दर्ज हुई (174 नॉट्स), उससे लगता है कि पायलट्स ने शायद तय रफ्तार से पहले ही विमान उठाने की कोशिश की, जिस वजह से वह जरूरी रफ्तार (200-250 नॉट्स) तक नहीं पहुंच सका.
अहमदाबाद की गर्मी ने भी विमान की लिफ्ट कम कर दी थी, जिस वजह से उसे जमीन पर ज्यादा दूरी तय करनी थी. अगर पायलट्स ने जल्दी रोटेशन कर दी, तो इसी वजह से विमान ऊंचाई (केवल 825 फीट) लेने में संघर्ष कर रहा था. लैंडिंग गियर (पहिए) नीचे ही थे, जिससे लगता है कि पायलट्स ने विमान को चढ़ाई (क्लाइंब) पर ले जाने की प्रक्रिया शुरू ही नहीं की थी- शायद किसी अचानक आई आपात स्थिति की वजह से.
लैंडिंग गियर न उठाना
टेकऑफ के बाद पहिए ऊपर कर लिए जाते हैं ताकि ड्रैग कम हो और विमान आसानी से चढ़ सके. हादसे की वीडियो में पहिए नीचे दिखे, यानी या तो पायलट्स उन्हें भूल गए, या कोई इमरजेंसी की वजह से जानबूझकर ऐसा किया गया. मगर इससे विमान की रफ्तार और चढ़ाई क्षमता और कमजोर हो गई.
ह्यूमन फैक्टर्सः किसी ध्यान भटकाने वाली चीज (जैसे स्टॉल अलर्ट या इंजन की गड़बड़ी) की वजह से पायलट्स लैंडिंग गियर (पहिए) ऊपर करना भूल सकते हैं. या फिर पायलट्स ने जानबूझकर गियर नीचे ही रखा होगा ताकि अगर जरूरत पड़े तो जल्दी से वापस रनवे पर उतर सकें.
लेकिन MAYDAY कॉल और हादसे से लगता है कि उनके पास समय खत्म हो गया था.
क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट (CRM) में गड़बड़ी
सही CRM का मतलब है कि दोनों पायलट्स के बीच साफ-साफ बातचीत हो और एक-दूसरे की बातें जांच-परख कर आगे बढ़ें. अगर कैप्टन सबरवाल ने फ्लैप्स या थ्रस्ट जैसी कोई सेटिंग गलत कर दी और फर्स्ट ऑफिसर कुंदर ने उसे ठीक से चेक नहीं किया, तो गलती नजर में नहीं आ सकती थी. कई बार कुछ एयरलाइनों में सीनियर पायलट का ज्यादा सम्मान करने की वजह से जूनियर कुछ कहने से हिचकिचाते हैं. हालांकि एयर इंडिया का ट्रेनिंग सिस्टम ICAO (अंतरराष्ट्रीय मानक) के हिसाब से है.
पायलट्स को कोई बड़ी समस्या समझ में आ गई थी, लेकिन हादसा सिर्फ 5-9 मिनट में हो गया, जिससे लगता है कि शायद टीम मिलकर समय पर फैसला नहीं ले पाई या तालमेल कमजोर रहा.
ऑटोमेशन पर भरोसा
787 विमान में फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम (FMS) टेकऑफ से जुड़ी गणनाएं करता है, लेकिन अगर उसमें गलत जानकारी (जैसे वजन या तापमान) डाली गई हो तो सारी गणना गलत हो सकती है. कई बार पायलट्स जल्दबाजी में मशीन पर भरोसा कर लेते हैं और उसके नतीजों को दोबारा जांचते नहीं हैं. हालांकि 787 जैसे आधुनिक विमानों में गड़बड़ी बहुत कम होती है, फिर भी अगर सिस्टम में कोई दिक्कत आ जाए तो पायलट्स को मैन्युअली संभालना पड़ता है.
अन्य संभावनाएं
-पायलट की गलती या टेकऑफ में गड़बड़ी (70-80%)
विमान की बहुत कम ऊंचाई (825 फीट), कम गति (174 नॉट्स), और लैंडिंग गियर नीचे होने से साफ संकेत मिलता है कि टेकऑफ की सेटिंग में कोई बड़ी गलती हुई (जैसे फ्लैप्स गलत सेट होना, इंजन की ताकत कम होना, जल्दी रोटेशन करना, या टेकऑफ के बाद गियर ऊपर न करना). 43°C की गर्मी और भारी ईंधन भार ने स्थिति को और मुश्किल बना दिया, जिससे छोटी-सी गलती भी बड़ा हादसा बन गई.
इंजन फेल होना या बर्ड स्ट्राइक (10-15%)
हादसे के वीडियो में इंजन की आवाज नहीं सुनाई दी और MAYDAY कॉल से लगता है कि विमान में ताकत (भ्रस्ट) की कमी थी. अहमदाबाद में बर्ड स्ट्राइक का खतरा भी रहता है या इंजन में कोई तकनीकी खराबी हो सकती थी. लेकिन दोनों इंजनों का एक साथ फेल होना बहुत ही दुर्लभ घटना है (10 लाख में 1 बार). 787 के GEnx इंजन काफी भरोसेमंद हैं. विमान की गलत स्थिति को देखते हुए पायलट की गलती ज्यादा संभव लगती है.
तकनीकी या स्ट्रक्चर में खराबी (2-3%)
विमान में किसी तकनीकी या स्ट्रक्चर खराबी की वजह से अचानक गिरावट आ सकती थी, लेकिन 787 का सुरक्षा रिकॉर्ड बेहतरीन है और ऐसी कोई घटना पहले नहीं हुई. विमान की हालत (गति कम, गियर नीचे) देखकर लगता है कि यह अचानक तकनीकी खराबी से नहीं, बल्कि इंसानी गलती से हुआ.
-साजिश या आतंकी हमला
ऐसी कोई जानकारी या सबूत नहीं है कि इस घटना में किसी तरह की साजिश या आतंकी हमले का हाथ हो. लेकिन इसकी जांच होना अनिवार्य हैं। क्योंकि बहुत कम ऊंचाई पर यह हादसा और जिसमे गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य लोगों की बड़ी संख्या। यह एक हादसा न होकर कही आतंकवादियों की साजिश भी हो सकती हैं।
जो भी हो यह हादसा अत्यंत चिंता का विषय है। इसकी जांच होनी चाहिए। फ्लाइट का ब्लैक बॉक्स और अन्य सभी पैरा मीटर्स पर इसकी जांच होनी अनिवार्य हैं। ताकि भविष्य में मानवीय सुरक्षाओं में चूक न हो।
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Author: MOKAJI TV

I am Moti Singh Rathore Founder/CEO DIRECTOR/ Editor in chief of Mokaji Media Entertainment Pvt Ltd Company. Our Media Company run Media business with online News Portal "MOKAJI TV".

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